उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय का कहना है कि याचिकाकर्ताओं को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। बता दें कि सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा था कि नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन बंद हो जाने के बाद ही छात्रों की याचिका पर सुनवाई की जा सकेगी।
ट्रायल कोर्ट नहीं बनाया जा सकता
विश्वविद्यालय के परिसर में पुलिस की कार्रवाई पर दायर याचिका को खारिज करते हुए मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को ट्रायल कोर्ट में नहीं बदला जा सकता, पहले याचिका उच्च न्यायालय में दायर की जानी चाहिए।
गिरफ्तार किए गए लोगों में छात्र नहीं
वहीं, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जामिया के छात्रों द्वारा प्रदर्शन के बीच रविवार को हुई हिंसा की घटनाओं के मामले में मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन लोगों को सोमवार रात और मंगलवार को परिसर के नजदीक जामिया और ओखला से हिरासत में लिया गया है। जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनकी पृष्ठभूमि अपराधी की है और उनपर कथित रूप से हिंसा भड़काने का संदेह है। हालांकि पुलिस ने यह बात भी कही है कि गिरफ्तार लोगों में कोई भी छात्र शामिल नहीं है।
पुलिस पर झड़प के दौरान गोली चलाने का आरोप
ऐसी भी खबरें हैं कि रविवार को जामिया में पुलिस और छात्रों की झड़प के दौरान तीन लोगों को कथित तौर पर “गोली” भी लगी है। हालांकि पुलिस ने साफ कह दिया है कि छात्रों के प्रदर्शन के दौरान उनकी ओर से गोली नहीं चलायी गई। वहीं डॉक्टर द्वारा घायल व्यक्ति की जांघ पर 'बाहरी चीज' से चोट की पुष्टि की गई है लेकिन अभी फ़ोरेंसिक जाँच बाकी है जिसके बाद ही यह साफ होगा कि यह चोट गोली से लगी थी या नहीं।